रुचि के स्थान
क्र. | रुचि के स्थान |
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1. | नरसिम्हा मंदिर |
2. | बरमान घाट |
3. | झोतेश्वर (परमहंसी गंगा आश्रम) |
4. | डमरू घाटी |
5. | चौरगड़ का किला |
6. | सदर मड़िया |
7. | दादा महाराज दूल्हादेव मंदिर |
8. | गणेश मंदिर |
9. | राम मंदिर |
- नरसिम्हा मंदिर
- बरमान घाट
- झोतेश्वर (परमहंसी गंगा आश्रम)
- डमरू घाटी
- चौरगड़ का किला
18 वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण जाट सरदारों ने कराया था एवं नरसिंहजी की मूर्ति स्थापित की थी । जिला मुख्यालय में स्थित भगवान विष्णु के मानव अवतार नरसिंहजी का भव्य मंदिर दर्शनीय है ।
बरमान, नरसिंहपुर, सागर, राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 26 पर 24 कि.मी. एवं करेली रेल्वे स्टेशन (इटारसी-जबलपुर) से 12 कि.मी. की दूरी पर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है । यह परमपिता ब्रम्हा जी की यज्ञ स्थली एवं रानी दुर्गावती का मंदिर हाथी दरवाजा तथा बराह प्रतिमा दर्शनीय हैं । यहां नर्मदा नदी सात धाराओं में बहती है । यहां पर मकर संक्राति से बसंत पंचमी तक मेला लगता है । जिसमें जिला प्रशासन की ओर से जन-जागरण हेतु विभिन्न विभागों-कृषि, सहकारिता, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की प्रदर्शनी लगाई जाती है ।
मध्य रेल्वे के मुंबई-कोलकाता मार्ग पर श्रीधाम (गोटेगांव) रेल्वे स्टेशन से 15 कि.मी. की दूरी पर प्रकृति की मनोरम छठा के बीच बना मां राज-राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी का विशाल एवं भव्य मंदिर दर्शनीय है । यहां झोतेश्वर मंदिर, लोधेश्वर मंदिर, हनुमान टेकरी, विचार शिला एवं स्फटिक से निर्मित शिवलिंग भी दर्शनीय है । यह जगत गुरू शंकराचार्य ज्योतिष एवं द्वारिका पीठाधीश्वर सरस्वती जी महाराज की तपोभूमि एवं कर्मभूमि भी है । यहां पर बसंत पंचमी के अवसर पर सात दिवस का मेला लगता है ।
मध्य रेल्वे के इटारसी जबलपुर मार्ग पर स्थित गाडरवारा स्टेशन से 03 कि.मी. की दूरी पर स्थित है । यहां पर शिव जी का विशाल शिवलिंग एवं शिवलिंग के अंदर शिव प्रतिमा दर्शनीय है ।
चौरागढ़ का किला गाडरवारा से 19 कि.मी. की दूरी पर प्राचीन काल का किला जो कि अब खंडहर हो चुका है जिसे गढ़ा राजवंश के गौड़ राजा संग्राम शाह द्वारा 15 वीं शताब्दी में निर्माण कराया गया था । इसके अतिरिक्त नरसिंहपुर जिले में बरहटा के पास नोनिया ग्राम का विशेष पुरातत्वीय महत्व है । यहां पर एक परकोटे के भीतर छ: बड़ी मूर्तियां हैं जिसे पांडव मठ / मूर्ति कहते हैं
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